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दो से चार -05-Jan-2022

भाग 11 



अगला दिन आशा का कैसा निकला , यह बयान नहीं किया जा सकता है । "आज मैं ऊपर आसमां नीचे" वाली फीलिंग्स हो रही थी उसे । या यों कहें कि उसके पांव जमीं पर नहीं पड़ रहे थे । वह गुनगुनाने लगी "आजकल पांव जमीं पर नहीं पड़ते मेरे"
नव्या ने यह गुनगुनाहट सुन ली और बोली
"वो तो हम देख ही रहे हैं, मौसी । आजकल तो आप जमीन से दो इंच ऊपर चल रहे हो । कहीं ऐसा नहीं हो कि बाद में हवा में उड़ने लगो और एक दिन छूमंतर हो जाओ । हम लोग आपको ढूंढते ही रह जायें और बाद में आप कुमार के घर से बरामद हो" । उसने आंख मारते हुये कहा ।
"चुप शैतान कहीं की । जब देखो तब छेड़ती रहती हो । मैं कोई सहेली नहीं हूं तेरी । मौसी हूँ मौसी । ढंग से बात किया कर मुझसे हां । आजकल तेरे पर निकलने लगे हैं" । आशा कृत्रिम रोष से बोली
"पर तो आपके निकल रहे हैं, मौसी । हम तो आपको उड़ते हुए देख रहे हैं बस । देखते हैं कि आपकी यह उड़ान सपनों की दुनिया तक लेकर जाती है या नहीं" ?

इस तरह दोनों की नोंकझोंक चलती रहती थी।

वह दो बजे का बेसब्री से इंतजार करने लगी । ये दो से चार बजे तक का समय ही तो है जिसके लिये वह जिंदा है । ये दो घंटे उसके लिए लाइफलाइन जैसे हैं । बाकी के 22घंटे का लंबा इंतजार और बस दो घंटे का मिलन । कोई दो और दो चार करता है मगर आशा के लिए तो दो से चार हैं जीवन का आधार । बैठे बैठे वह सोचने लगी ।

प्यार में अक्सर ऐसा क्यूं होता है 
ये दिल इतना बेकरार क्यों होता है
धडकने लगता है दिल उनकी बातों से 
किसी के आने का इंतजार क्यों होता है 

ये चार पंक्तियां उसके दिल से निकली और उसने साहित्यिक एप पर पोस्ट कर दी । 

उधर कुमार ने जब ये चार पंक्तियां देखी तो एक बार वे उसके जवाब में वहीं पर चार पंक्तियां लिख रहे थे लेकिन उन्हें ध्यान आया कि यह कोई निजी मकान नहीं है । ये प्रतिलिपि तो एक "सराय" है जिसमें बहुत सारे लोग रह रहे हैं । इसलिए यहां लिखना ठीक नहीं है । अतः उसने अपनी पोस्ट में चार पंक्तियां लिखीं 

जब आंखें किसी से चार हो जाती है 
ये दुनिया कितनी खूबसूरत हो जाती है
खुद का खुद पे इख्तियार कहां होता है 
दिल की धड़कनें भी उनके नाम हो जाती है   

आशा ने जब यह पोस्ट पढ़ी तो उसको लगा कि सारा जहां उसकी बांहों में सिमट गया है । "वो भी मुझे चाहते हैं" यह सोचकर ही उसके चेहरे पर बहार आ गई थी । आज एक बार बहुत दिनों के बाद वह आईने के सामने आई थी । अनिल की बेवफ़ाई के बाद उसे आईने से घृणा हो गई थी मगर आज यह आईना उसे दुनिया का सबसे खूबसूरत तोहफा लग रहा था । किसी ने सच ही कहा है कि चीजें वही होती हैं लेकिन उनको देखने का नजरिया अलग अलग होता है । 

उसे अब एक एक पल एक एक बरस के समान लग रहा था । उसके मन से निकल रहा था "समय तू जल्दी जल्दी चल , कब तक दिल को और संभालूं अब ना जाए संभल , अब ना जाए संभल । ओ पल पल । ओ पल पल । समय तू जल्दी जल्दी चल" । 

राम राम करते करते दो बज गए । उसने व्हाट्स ऐप चालू किया तो देखा कि कुमार वहां मौजूद थे। समय के बहुत पाबंद हैं जनाब ! एक मिनट भी ऊपर नीचे नहीं होते कभी । आशा , सोच ले , अब तुझे भी समय का महत्व पता चल जाएगा। अब तक तो तेरी जिंदगी में समय की कोई अहमियत ही नहीं थी, मगर अब पता चल रही है । ऐसा सोचते सोचते उसने लिखा 

Hi
Hi , 
"कैसी हो आशा जी" 
मन में तो आया कि लिख दें बहुत बेकार हैं । आपके बिना हम कैसे अच्छे रह सकते हैं लेकिन अभी अपनी भावनाओं पर काबू करना सीख , आशा । मन के एक कोने से आवाज आई। औपचारिकता के तौर पर उसने लिख दिया
"जी , अच्छे हैं । आप कैसे हैं" ? 
"हम भी अच्छे हैं । आपकी दोस्ती की महक हमें महका रही है" कुमार ने शरारत शुरू कर दी । 

"अब तो यह महक आपको उम्र भर मिलती ही रहेगी । क्यों है ना ? आप तोड़ेंगे तो नहीं ये दोस्ती" ?आशा के मन में तो आया लिख दे , दोस्ती वोस्ती कुछ नहीं है, हम तो आपसे प्यार करते हैं । मगर इजहार करने से डरती थी वो । आगे से इजहार कैसे करे वो ।  अतः खामोश ही रही । 

"हमारे जैसे लेखकों के लिए अगर आप जैसा सुधी पाठक मिलेगा तो कौन पागल लेखक है जो तुम्हारी दोस्ती तोड़ेगा" ? कुमार ने मुस्कुराने वाली इमोजी भेजी थी। 

आशा के मन में आया कि ये बंदा तो अपने लेखन में इतना डूबा हुआ है कि इसे समझ ही नहीं आ रहा है कि एक लड़की उसके प्यार में पागल हो रही है । और इसे कुछ पता ही नहीं है । पर यह बात वह कैसे बताए ? 

उसने लिखा "सर, आपका लेखन ही ऐसा है कि उसे हमेशा पढ़ने का मन करता है" 

और कुमार ने बात लेखन पर शुरू कर दी । इन्हें तो बस मौका मिलना चाहिए , हर एक लेखक अपनी रचनाओं के बारे में बताना शुरू कर देता है । आशा ने माथा पीट लिया । सोचने लगी "हमें तो प्यार की मीठी चाशनी चाहिए और ये बंदा नींबू पानी पे नींबू पानी पिलाए जा रहा है । उसने झट से बात बदल दी 

"सर , आपसे एक पर्सनल सवाल पूछें" ? 

एक मिनट सन्नाटा सा रहा । एक बार को आशा को लगा कि उससे बहुत बड़ी गलती हो गई है क्या ?  मगर अब तो तीर छूट चुका था । वह अभी खुद को कोस ही रही थी कि उधर से मैसेज आया 
"जी, पूछिए" 
"सर आपने अपनी शादी से पहले भी क्या कभी प्यार किया था" ? 

प्रश्न कुछ ज्यादा ही पर्सनल था । इसलिए उत्तर भी सोच समझ कर मिलेगा , यह जानती थी वो । 

उधर से खामोशी रही । आशा को लगा कि फिर कहीं उसने कोई ग़लत बात तो नहीं कर दी है ? उसने लिखा 
"सर, अगर आप बताना नहीं चाहते हैं तो मत बताइए" । 
"नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है । दर असल मैं तो शादी से पहले प्यार व्यार मानता ही नहीं । प्यार करो तो पति / पत्नी से करो , बस । इस तरह फालतू का झंझट पालने की जरूरत ही क्या है ? हमने तो प्यार बस श्रीमती जी से ही किया है और वह भी शादी के बाद । इसके अलावा और कुछ नहीं " 

आशा को बड़ी खुशी ही हुई अंदर से । पता नहीं क्या कारण था , लेकिन वह जैसे इसी जवाब का इंतजार कर रही थी । उसे यह जानकर अच्छा लगा कि कुमार "चलता पुर्जा" नहीं हैं । फिर भी उसने और कुरेदा 

"ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि कोई भी लड़की आपकी जिंदगी में आई ही नहीं हो । कॉलेज के जमाने में या उसके बाद" । 

"जहां तक मुझे याद है , मैंने तो कभी ऐसा सोचा ही नहीं । और रही लड़कियों की बात , तो वो मुझे कैसे पता चलेगा कि उनके मन में क्या चल रहा है ? क्या मैं उनसे पूछता कि वे मुझसे प्यार करती है या नहीं" ? 

कुमार की इस मासूमियत और भोलेपन पर आशा को हंसी आ गई । सोचा कि कितने निर्मल और भोले हैं ये । मीठे इतने जैसे कि रसगुल्ला । उठाओ और गप कर जाओ । वाह । मजा आ गया । पहले क्यों नहीं मिलाया भगवन आपने इनसे ! काश , ये पहले मिल जाते " ? 

इसी तरह से और चैट चलती रही । इतने में चार बज गए और आज का टाइम पूरा हो गया।


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2 Comments

Shalu

07-Jan-2022 02:07 PM

Very nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

07-Jan-2022 02:56 PM

Thanks

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